हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी शनिवार, 12 अगस्त को मनाई जा रही है। इस बार एकादशी तिथि की शुरुआत 11 अगस्त से होगी तथा इसका पारण 13 अगस्त को किया जाएगा। वैसे तो हर एक वर्ष में 24 एकादशियां पड़ती हैं। लेकिन जब अधिक मास या मलमास आता है, तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अधिक मास या मलमास को जोड़कर उस वर्ष में 26 एकादशियां होती हैं। अधिक मास में 2 एकादशियां होती हैं, जो पद्मिनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) और परमा/पुरुषोत्तमी या कमला एकादशी (कृष्ण पक्ष) के नाम से जानी जाती है। अधिक मास के कृष्ण पक्ष में जो एकादशी आती है, वह परमा, पुरुषोत्तमी या कमला एकादशी कहलाती है। कहीं-कहीं इसे पद्मा एकादशी के नाम से भी बोला जाता हैं।
12 अगस्त 2023, शनिवार : परम एकादशी के शुभ मुहूर्त-
श्रावण कृष्ण एकादशी का प्रारंभ- 11 अगस्त 2023, शुक्रवार को 05.06 AM से
श्रावण कृष्ण एकादशी का समापन- 12 अगस्त 2023, शनिवार को 06.31 AM पर।
परमा एकादशी व्रत पारण (व्रत तोड़ने का) का समय- 13 अगस्त को 05.49 AM से 08.19 AM पर।
पारण के दिन द्वादशी तिथि की समाप्ति- 08.19 AM पर।
खास मुहूर्त एवं चौघड़िया
ब्रह्म मुहूर्त- 04.23 AM से 05.05 AM
प्रातः सन्ध्या- 04.44 AM से 05.48 AM
अभिजित मुहूर्त- 11.59 AM से 12.53 PM
विजय मुहूर्त- 02.39 PM से 03.32 PM
गोधूलि मुहूर्त- 07.04 PM से 07.25 PM
सायाह्न सन्ध्या- 07.04 PM से 08.08 PM
अमृत काल- 09.26 PM से 11.12 PM
निशिता मुहूर्त- 13 अगस्त 12.05 AM से 13 अगस्त 12.48 AM तक।
12 अगस्त, शनिवार : दिन का चौघड़िया
शुभ- 07.28 AM से 09.07 AM
रोग- 09.07 AM से 10.47 AM
चर- 12.26 PM से 02.05 PM
लाभ- 02.05 PM से 03.45 PM
अमृत- 03.45 PM से 05.24 PM
रात्रि का चौघड़िया
लाभ- 07.04 PM से 08.24 PMकाल रात्रि
शुभ- 09.45 PM से 11.06 PM
अमृत- 11.06 PM से 13 अगस्त को 12.26 AM तक।
चर- 12.26 AM से 13 अगस्त 01.47 AM तक।
लाभ- 04.28 AM से 13 अगस्त को 05.49 AM तक।
परमा एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में सुमेधा नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम पवित्रा था। वह परम सती और साध्वी थी। पति-पत्नी दोनों निर्धनता में जीवन निर्वाह करते हुए भी परम धार्मिक थे और हमेशा अतिथि सेवा में तत्पर रहते थे। एक दिन गरीबी से परेशान होकर ब्राह्मण ने परदेश जाने का विचार किया, किंतु उसकी पत्नी ने कहा- ‘’स्वामी धन और संतान पूर्वजन्म के दान से ही प्राप्त होते हैं, अत: आप इसके लिए चिंता ना करें।’’
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फिर कुछ दिन बाद महर्षि कौडिन्य उनके घर आए। ब्राह्मण दंपति ने श्रद्धा भाव से उनकी सेवा की। महर्षि ने उनकी दशा देखकर उन्हें परमा एकादशी का व्रत करने को कहा। उन्होंने कहा- ‘’दरिद्रता को दूर करने का सुगम उपाय यही है कि, तुम दोनों मिलकर अधिक मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत तथा रात्रि जागरण करो। इस एकादशी के व्रत से यक्षराज कुबेर धनाधीश बना है, हरिशचंद्र राजा हुआ है।’’
ऐसा कहकर महर्षि चले गए और सुमेधा ने पत्नी सहित व्रत किया। इसके बाद प्रात: काल एक राजकुमार घोड़े पर चढ़कर आया और उसने सुमेधा को सर्व साधन, संपन्न, सर्व सुख समृद्ध कर एक अच्छा घर रहने को दिया। इसके बाद उनके समस्त दुख दर्द दूर हो गए। इसलिए परमा एकादशी का व्रत करने से जीवन की तमाम परेशानियां दूर हो जाती हैं और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है