Thursday, October 3, 2024
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Sharad Purnima 2023 : Katha and Mahatva in Hindi

Sharad Purnima 2023 : Katha and Mahatva in Hindi

Sharad Purnima 2023 : Katha and Mahatva in Hindi

शरद पूर्णिमा, हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार वर्षा ऋतु के अंत को सूचित करता है और शरद ऋतु की आरंभ को चिह्नित करता है। शरद पूर्णिमा के महत्व को निम्नलिखित कारणों से माना जाता है:

  1. उपासना और दान: शरद पूर्णिमा को विष्णु भगवान के आराधना और दान करने के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। लोग इस दिन विभिन्न प्रकार के दान करते हैं, जैसे कि अन्न, वस्त्र, और धन।
  2. कृषि से जुड़ा महत्व: शरद पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण कृषि त्योहार है। इस समय अनाज की कटाई होती है और लोग नए खेती काम की तैयारियों में लगते हैं।
  3. रासलीला का आयोजन: वृंदावन और मथुरा जैसे स्थलों में शरद पूर्णिमा पर भगवान कृष्ण की रासलीला का आयोजन किया जाता है। यह उत्सव भगवान कृष्ण के लीलाओं की महत्वपूर्ण याद दिलाने का अवसर होता है।
  4. शरद पूर्णिमा की रात्रि: इस दिन को जागरण के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें भक्त भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं।
  5. चंद्रमा का महत्व: इस दिन के उपवास के द्वारा लोग चंद्रमा का पूजन करते हैं, जिसका माना जाता है कि इसके बिना अन्न का उत्पादन असंभव होता।

इस तरह, शरद पूर्णिमा हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है, और यह ऋतुओं के परिवर्तन के साथ-साथ कृषि, उपासना, और सांस्कृतिक आयोजनों का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कब मनाई जाती हैं शरद पूर्णिमा ? (Sharad Purnima Date)

हिंदी पंचांग के अनुसार आश्विन की पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा कहा जाता हैं. इसे उत्तर भारत में अधिक उत्साह से मनाया जाता हैं. कहते हैं इस दिन चन्द्रमा मे सभी 16 कलाओं में रहता हैं. 2023 में यह व्रत 28 अक्टूबर, को मनाया जायेगा.

चन्द्रमा की सुन्दरता इतनी मन मोहक होती हैं कि उसे देखते ही मनुष्य मोहित हो जाता हैं. इस दिन चन्द्रमा के दर्शन से ह्रदय में शीतलता आती हैं. शरद पूर्णिमा पर चाँद जितना सुंदर और आसमान जितना साफ़ दिखाई देता है, वो इस बात का संकेत देता हैं कि मानसून अब पूरी तरह जा चूका हैं.

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यह त्यौहार पुरे देश में भिन्न- भिन्न मान्यताओं के साथ मनाया जाता हैं. इस दिन लक्ष्मी देवी की पूजा का महत्व होता हैं. लक्ष्मी जी सुख समृद्धि की देवी हैं, अपनी इच्छा के अनुसार मनुष्य इस दिन व्रत एवम पूजा पाठ करता हैं. इस दिन रतजगा किया जाता हैं. रात्रि के समय भजन एवम चाँद के गीत गायें जाते हैं एवम खीर का मजा लिया जाता हैं.

शरद पूर्णिमा व्रत कथा (Sharad Purnima Vrat Katha)

बहुत प्रचलित कथा हैं : एक साहूकार की दो सुंदर, सुशील कन्यायें थी. परन्तु एक धार्मिक रीती रिवाजों में बहुत आगे थी और एक का इन सब मे मन नहीं लगता था. बड़ी बहन सभी रीती रिवाज मन लगाकर करती थी, पर छोटी आनाकानी करके करती थी. दोनों का विवाह हो चूका था. दोनों ही बहने शरद पूर्णिमा का व्रत करती थी, लेकिन छोटी के सभी धार्मिक कार्य अधूरे ही होते थे. इसी कारण उसकी संतान जन्म लेने के कुछ दिन बाद मर जाती थी. दुखी होकर उसने एक महात्मा से इसका कारण पूछा, महात्मा ने उसे बताया तुम्हारा मन पूजा पाठ में नहीं हैं इसलिए तुम शरद पूर्णिमा का व्रत करों, महात्मा की बात सुनकर उसने किया, परन्तु फिर उसका पुत्र जीवित नहीं बचा. उसने अपनी मरी हुई सन्तान को एक चौकी पर लिटा दिया और अपनी बहन को घर में बुलाया और अनदेखा कर बहन को उस चौकी पर ही बैठने कहा. जैसे ही बहन उस पर बैठने गई उसके स्पर्श से बच्चा रोने लगा. बड़ी बहन एक दम से चौंक गई. उसने कहा अरे तू मुझे कहाँ बैठा रही थी. यहाँ तो तेरा लाल हैं. अभी मर ही जाता. तब छोटी बहन ने बताया कि मेरा पुत्र तो मर गया था, पर तुम्हारे पुण्यों के कारण तुम्हारे स्पर्श मात्र से उसके प्राण वापस आ गये. उसके बाद से प्रति वर्ष सभी गाँव वासियों ने शरद पूर्णिमा का व्रत करना प्रारंभ कर दिया

FAQ

Q : शरद पूर्णिमा कब है ?

Ans : अश्विनी माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं.

Q : शरद पूर्णिमा 2023 में कितनी तारीख को है ?

Ans : 28 अक्टूबर को

Q : शरद पूर्णिमा के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है ?

Ans : चंद्रमा निकलने के बाद.

Q : शरद पूर्णिमा में भगवान को किस चीज का भोग लगाया जाता है ?

Ans : खीर या रबड़ी का.

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