Saturday, June 29, 2024
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Sarva Pitru Amavasya 2023: सर्वपितृ अमावस्या पर कई सालों बाद बन रहा है दुर्लभ संयोग, ऐसे करें पितरों को विदाई

Sarva Pitru Amavasya 2023: सर्वपितृ अमावस्या पर कई सालों बाद बन रहा है दुर्लभ संयोग, ऐसे करें पितरों को विदाई

Sarva Pitru Amavasya 2023: सर्वपितृ अमावस्या पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, ऐसे करें पितरों की विदाई

Sarva Pitru Amavasya 2023 Date: आश्विन माह की अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है. अगर किसी को अपने पितरों की मृत्यु तिथि पता नहीं है तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध किया जा सकता है.

सर्व पितृ अमावस्या, जिसे महालय अमावस्या भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है जिसे अपने पूर्वजों या पितृदेवताओं को समर्पित करने और उनका सम्मान करने के लिए बनाया गया है। यह चंद्रमा के मास भाद्रपद (सामान्य रूप से सितंबर या अक्टूबर) की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस दिन के साथ कई रस्मों और आचरणों का आयोजन किया जाता है, ताकि पितृदेवताओं की याद की जा सके और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके। यहां सर्व पितृ अमावस्या का महत्व और कुछ सामान्य आचरणों का वर्णन किया गया है

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इस बार सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर, शनिवार के दिन है. पितृ पक्ष की अमावस्या पर इस बार कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं. माना जाता है कि इन योगों में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से वह कई सालों तक तृप्त रहते हैं.

सर्वपितृ अमावस्या का शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि प्रारंभ: 13 अक्टूबर को 9 बजकर 51 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर, शनिवार की रात 11 बजकर 25 मिनट पर

सर्वपितृ अमावस्या पर दुर्लभ संयोग

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल 14 अक्टूबर को पितृ पक्ष की अमावस्या पड़ रही है. इसे मोक्षदायिनी अमावस्या भी कहते हैं. इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है. इस बार अमावस्या के दिन शनिवार होने के चलते इसे शनिचरी अमावस्या भी कहा जाएगा. इस दिन साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है. इस दिन शुभ इंद्र योग भी बन रहा है. सर्वपितृ अमावस्या अश्विन माह में पड़ने से इसका महत्व और बढ़ गया है. इन शुभ संयोगों में पितरों का तर्पण कर उन्हें प्रसन्न और तृप्त किया जा सकता है.

महत्व:

  1. पूर्वजों का समर्पण: सर्व पितृ अमावस्या हिन्दू संस्कृति में महत्वपूर्ण है क्योंकि माना जाता है कि इस दिन पितृदेवताएँ पृथ्वी पर आकर्षित होती हैं। हिन्दू धर्म में इस दिन के आचरण और उपहारों के माध्यम से व्यक्ति अपने पूर्वजों के प्रति अपना प्यार और कृतज्ञता व्यक्त कर सकता है और उन्हें प्रेत लोक में शांति प्राप्त कराने में मदद कर सकता है।
  2. आजिविका का शुद्धिकरण: इस दिन के आचरणों को करके, व्यक्ति अपने पूर्वजों की आजिविका को शुद्ध करने में मदद कर सकता है और उनके पूर्वजों को प्रेत लोक में सुख दिला सकता है। इसके साथ ही जीवित वंशजों को आशीर्वाद और समृद्धि प्राप्त करने की भी आशा होती है।

आचरण:

  1. तर्पण: तर्पण सर्व पितृ अमावस्या का सबसे महत्वपूर्ण आचरण है। इसमें पानी, तिल, चावल, और काला तिल पितृदेवताओं को दिया जाता है, साथ ही विशेष मंत्रों का पाठ किया जाता है। इस आचरण को किसी जलस्रोत के पास, जैसे कि नदी या तालाब, या कुछ मामलों में घर पर भी किया जा सकता है। पानी की अर्पण को पितृदेवताओं के लिए अर्पण माना जाता है, और माना जाता है कि वे इन अर्पणों की सार को प्राप्त करते हैं।
  2. श्राद्ध कार्यक्रम: कुछ परिवार श्राद्ध कार्यक्रम भी करते हैं, जिसमें भ्रामणों या पुजारियों को भोजन, कपड़े, और अन्य चीज

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